Rambo

कौन है पहली female BSF Officer?

 

बीकानेर की एक बडी Joint family में एक लडकी का जन्म हुआ, जिसने बडे होकर अपने परिवार और अपने देश दोनों का नाम रोशन किया। Tanushree Pareek, Indian Army की सबसे पहली female BSF Officer यानी Border Specific Force Officer बनी। 

Tanushree अपने आप को बचपन से ही blessed मानती है, क्योंकी उसके परिवार ने हमेशा उसके decisions को support किया था। उनके परिवार में कभी लड़के-लड़कियों में कोई भेदभाव नहीं किया जाता था। इसलिए Tanushree को अपनी education और सपनों को आगे बढ़ाने के लिए पूरी freedom और support मिला और Family की तरफ से positive support का उसकी परवरिश और जिंदगी जीने के नजरिए के positive बनने में बड़ा role रहा है।  उनके पिता, एक vetrinary doctor, ने हमेशा उन्हें focus के साथ काम करने और पढ़ाई और फिटनेस के बीच balance बनाए रखने के लिए encourage किया है।  उसकी माँ ने अपने बच्चों की देखभाल के लिए lecturer की नौकरी छोड़ दी। उन्होंने खुद तो नौकरी छोड दी थी लेकिन Tanushree को हमेशा priority अपनी studies रखना सिखाया और वो अपनी studies और करियर पर ध्यान देने के लिए तनुश्री को रसोई के कामों में नहीं उलझाती थी और शायद इसीलिए Tanushree आज अपनी success का पूरा credit अपने माता-पिता और उनके बिना शर्त के support को देती है।  

 

तनुश्री ने Army join करने का प्लान बचपन से नहीं बनाया था।  वो एक regular student थी, जो पढ़ाई में अच्छी थी।  उसने state level पर बैडमिंटन खेला और घुड़सवारी भी सीखी।  12 वीं class के बाद, उन्होंने गवर्नमेंट इंजीनियरिंग कॉलेज, बीकानेर से इलेक्ट्रॉनिक्स और कम्यूनिकेशन में B.Tech की डिग्री हासिल की।  यहां पर पहली बार Tanushree नेशनल कैडेट कोर यानी NCC  में शामिल हुईं और एक बार वो Military zone में गई की कभी निकल ही नही पाई। Army की वर्दी के लिए उसका प्यार उस वक्त से ही पक्का होना शुरू हो गया था, और उसने Government services में भविष्य के बारे में सोचना शुरू कर दिया था।

 2013 में BSF ने महिलाओं को कॉम्बैट ड्यूटी के लिए application देने की अनुमति दी थी।  तनुश्री तब महज 22 साल की थीं।  उसने civil service exams के लिए कड़ी मेहनत की, लेकिन मेन्स क्लियर नहीं कर पाई।  उस समय वह IGNOU से Post graduation in rural development कर रही थी।  इसके बाद वो UPSC CAPF के Written exams में शामिल हुईं, जो CRPF, BSF, CISF और SSB में पदों के लिए एक entrace exam है। 

इस बार उसने परीक्षा पास की और फिर इसके बाद उन्हें physical tests की तैयारी करनी पड़ी।  

 

Physical test clear करने के लिए उन्हें छह से सात किलोग्राम वजन बढ़ाना था और एक महीने के अंदर अंदर फिट होना था। और पूरे determination और patience के साथ, उन्होंने अपना लक्ष्य हासिल किया और Force के लिए four-phase की recruitment की हर level को qualify किया।

 

यहां तक की जंग तो tanushree ने जीत ली थी, लेकिन अगली training थी, जो सबसे toughest phase साबित हुई। Theortical knowledge और routines अभी भी ठीक थे, लेकिन उसे अपनी physical फिटनेस और stamina पर कड़ी मेहनत करनी पड़ी। एक civilain की तरह, वो सुबह जल्दी नहीं उठती थी या जोरदार कसरत नहीं करती थी। हालांकि training के दौरान, Tanishree रोजाना सुबह 5.30 बजे उठ जाती थी और खुद को जितना हो सके उतना आगे बढ़ाने की कोशिश करती थी।  हर रोज वो अपनी speed और stamina को बढाने पर focus करती थी और body की exercising capacity को बढाने पर काम करती थी। और ये training उनको लिए बहुत exhausting हो रही थी।   

 

लेकिन Academy में male और female जो एक ही stage पर थे, उनके schedules, studies और training में कोई अंतर नहीं था।  तनुश्री को वही चीजें सिखाई गईं और उनसे वही काम कराया गया जो उनके male counterparts करते थे। कभी कभी तो पूरे शरीर का दर्द और Mantal frustration उस पर हावी हो जाती थी, लेकिन फिर भी Tanushree ने हार नही मानी और पूरे training process के वक्त patient रही।

तनुश्री ने BSF Academy में 53 सप्ताह की intensive training ली।  इस training phase में physical training, खुफिया जानकारी इक्ट्ठा करना और अलग तरह के battle craft और border guarding exercises शामिल थी।

 

Tanushree मे पूरी मेहनत से Academy में सारी trainings में अपना best दिया और बहुत अच्छा उनकी progress रही। इसके अलावा, उन्हे drills और public speaking में उनकी outstanding achievements के लिए awards भी मिले।  वहां उन्हें ‘ऑल-राउंड बेस्ट ट्रेनी’ के खिताब से भी नवाज़ा गया और Tanushree ने BSF academy में अपनी अलग जगह बनाई।

 

उसके माता-पिता उसके लिए बहुत खुश थे और इस courageous role को निभाने में उसकी मदद करने में उन्होंने बिल्कुल भी hesitate नहीं किया। और फिर तनुश्री ने अपनी पासिंग आउट परेड में 67 trainee officers के अपने बैच का lead किया।  25 साल की पहली पोस्टिंग, भारत-पाक border के साथ पंजाब में हुई।  वहां पर उन्होने Assistant कमांडेंट के रूप में अपनी पहली ड्यूटी संभाली, जो अपने आप में एक  female officer होने की वजह से पहली ड्यूटी थी।

 

Tanushree, एक level headed officer, जिसमें अपनी नौकरी के लिए एक अलग ही जुनून है। अपने परिवार से अलग होने के वक्त और defence force में unstable life के बारे में पूछे जाने पर, वह कहती है कि ये एक पहले से ही बनाई हुई बात है, कि seperation केवल defence forces में होता है। कॉरपोरेट में काम करने वाली महिलाओं को भी देर शाम तक घर से बाहर रहना पड़ता है। इसलिए उसका defense में काम करने की वजह से seperation होना कोई नई बात नही है।

ये सब balance और work ethics के बारे में है।  अगर कोई कुछ काम कर रहा हैं, तो उसे पूरे satisfaction और focus के साथ काम करे और जब अपनों के साथ हों, तो पूरे मन और शरीर से उनके साथ रहें।  वैसे भी, defence force एक साल में 75 दिन की छुट्टी जैसे बहुत सारे perks और privilages provide करते हैं, जो कोई sector नहीं करता है।  तो इन leaves का use बिना किसी mental distractions के परिवार से मिलने और उनके साथ time spend करने के लिए किया जा सकता है।

 

तमाम challenges और बाधाओं के बावजूद, तनुश्री अपनी कोशिशों पर अडी रहीं। उसने हमेशा अपने loved ones के विश्वास में विश्वास किया था। उसे यकीन था कि वो ये कर सकती है जो दूसरे कर सकते हैं, चाहे कितना भी कठिन क्यों न हो।  इस बहादुर और passionate young lady ने अपने नक्शेकदम पर चलने वालों के लिए bar को ऊंचा set कर दिया था।  वो असलियत में womanhood की redefined spirit बन गई है और उसी spirit के साथ Tanushree ने अपनी journey की शुरूआत की। और अपनी इस journey से ना जाने कितनी young ladies को inspire किया। तनुश्री को हाल ही में बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाई अभियान के लिए राज्य सरकार ने ब्रांड एंबेसडर भी बनाया है।

 

तनुश्री पारीक- एक dignified Border Security force (बीएसएफ) officer जिन्होंने बीएसएफ के 51 साल के इतिहास में पहली महिला combat officer बनकर इतिहास रच दिया है।  Defence forces की line में, भारत में महिलाओं को conventionally combat roles के लिए सम्मानित नहीं किया जाता है।  इस परंपरा को भारतीय वायु सेना ने पिछले साल चुनौती दी थी, जब उसने तीन महिला fighter पायलटों के अपने पहले batch को शुरु किया था।  हालांकि इससे काफी पहले, बीएसएफ ने 2013 में महिलाओं के लिए कॉम्बैट ड्यूटी में शामिल होने का रास्ता खोल दिया था। बीकानेर (राजस्थान) से ताल्लुक रखने वाली तनुश्री ने इस कठिन challenge को स्वीकार किया और जीत हासिल की।  मार्च में, उन्हें गृह मंत्री राजनाथ सिंह द्वारा टेकनपुर में बीएसएफ academy में उनकी रैंक से सम्मानित किया गया था।  कहने की जरूरत नहीं है, उसने पूरे देश को proud feel किया है।

 

तो Rambo फिल्म जिसमें actor tiger shroff होंगे, तो मतलब mindblowing action भी होगा। लेकिन जरूरी नही है कि वो Action हमें सिर्फ male fighter का देखने को मिले।

किसी female freedom fighter का action भी तो देखने को मिल सकता है और Tanushree pareek उस character building के लिए एक perfect inspiration है, जो womanhood के एक अलग ही अवतार को दिखाएगी, जो शायद ही किसी ने border पर कभी देखा होगा। एक ऐसी fighter जो देश के लिए अपनी जान की कुर्बानी देने के लिए भी हमेशा तैयार रहेगी।

 

जैसे Tanushree ने typical traditions को ignore करके अपने pasaion को follow किया और वो चीज चुनी जो पुरे bharat में ही सबसे पहले बार हुई है, तो Tanushree Pareek से बढकर, indian females के लिए और कोई inspiration नही बन सकती है

और हो सकता है हमें Rambo फिल्म की heroine में Tanushree की एक झलक देखने को मिल जाए।

 

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