Pushpa 2

Sandalwood forest में हुआ murder!

 

Forest officers पिछले साल फरवरी में चिन्नार Wildlife Sanctuary के अंदर एक remote tribal बस्ती में, रोजाना की तरह night patrol पर थे, जब उन्हे एक अजीब track दिखाई दिया।

केरल-तमिलनाडु border पर पालापेट्टी (Palappetti) की बस्ती को Sandalwood smugglers ने पडोसी states से बाहर जाने की एक ideal location बना लिया था।

Forest Guards एक बडे चंदन के पेड़ को गायब देख हैरान रह गए।  वो लोग करीब 45 मिनट पहले ही इस इलाके से गुजरे थे और उस वक्त सब कुछ normal था।  लेकिन उन 45 minutes में एक बड़ा चंदन का पेड़ कट गया और वहां से गायब हो चुका था।

Officers ने जल्दी में, केवल 5 किलोमीटर दूर वन्ननथुरा (Vannanthura) Firest station को inform किया और smugglers का पीछा करने के लिए contract employees में शामिल हो गए। उस वक्त ये आसान काम लग रहा था। क्योकी smugglers ने गिरे हुए पेड़ से निकला बुरादा यानी Sawdust के निशान छोड़ दिए थे। जमीन पर इतने बडे पेड के घसीट कर ले जाने के निशान भी थे। 

Smugglers का तेजी से पीछा कर रहे officers अचानक रास्ते में रुक गए, जब उन्होंने एक तेज आवाज सुनी जो तेजी से उनकी तरफ बढती जा रही थी।  Bulls का एक झुंड उनके रास्ते पर रोक लगा रहा था। Smugglers ने अपने पीछा करने वालों को रोकने के लिए perfect solution ढूंढ लिया था। Officers और employees अपनी safety के लिए हाथ-पांव मारते रह गए। और bulls के खुरों के निशानों के नीचे चंदन के पेड़ के घसीटने के निशान खो गए थे।

केरल के Idukki जिले का मरयूर (Marayur) Town अपने मीठे गुड़ और मीठी महक वाले चंदन के जंगल के लिए famous है। Border area के चंदन की कीमत उसकी unique qualities के हिसाब से लगाई जाती है। एक किलोग्राम चंदन की कीमत करीब 20,000 रुपये होती है। मरयूर में केवल 59,784 पेड़ बचे हैं।  और Illegal Smuggling के वक्त में, अकेले 2005 में 2,490 पेड़ चोरी हो गए थे। 

Smugglers को इलाके में rivalry और forest cover का फायदा होता है, क्योकी इन दोनो चीजो की वजह से forest guards के लिए निगरानी रखना कठिन हो जाता है। केरल और तमिलनाडु के बीच के forest border में चंदन की लकड़ी की smuggling करने के लिए बहुत रास्ते हैं।

 

 पलापेट्टी मरयूर की पांच main कॉलोनियों में से एक है।  कॉलोनी के निवासियों का मानना ​​है कि चंदन के पेड़ों पर उनका अधिकार है।  उन्हें तमिलनाडु के सलेम (salem), पलानी (palani) और इरोड (Erode) इलाकों के organised gangs ने उकसाया है।  Gangs के लिए वहां रहने वाले लोग आसान शिकार थे।  उन्हें मोटरबाइक या मोबाइल फोन या यहां तक ​​कि शराब की बोतल जैसे मामूली rewards के लिए पेड़ों को काटने और middlemen को बेचने के लिए encourage किया जाता है।

 वो पेड़ों को काटते हैं और उन्हें चट्टानों के बीच तब तक छिपाते हैं, जब तक middlemen दिखाई नहीं देते।  कभी-कभी, वे तमिलनाडु के gangs के लिए Ground support भी provide करते हैं।

 Smuggler के gangs पेड़ों को काटते हैं और लट्ठों को अपने सिर पर बिना रुके जंगल के रास्ते लगभग 40 किलोमीटर दूर तक ले जाते हैं।  वे आधी रात को inter-stare border पार करने के लिए पहाड़ियों पर जाते हैं और लट्ठों को छोटे छोटे parts में काट लेते है, ताकी आसानी से तमिलनाडु तक ले जाया जा सके।

 

जंगल का रास्ता जानवरों के झुंड द्वारा बनाए जाता हैं।  और बाकी लोग उसी रास्ते को follow करते हैं।  हालांकि, शिकारी और smugglers अपना रास्ता खुद तय करते हैं।  लेकिन वो जंगल में रहने वाले लोगो की मदद से घने जंगलों में जाने का जोखिम उठाते हैं।  और rivalry area में dare devils लोगो का मुकाबला forest guards  नहीं कर सकते थे।  शिकारियों के पास भोजन का अच्छा stock होता है, जो उन्हें कई दिनों तक चल सकता है।  वो जंगल के अंदर बिजली की टॉर्च का भी इस्तेमाल नहीं करते हैं।

 

तमिलनाडु के Gangs की एक अलग strategy होती है।  वो हमेशा उसी तरह पीछे हटते हैं, जैसे वो आगे बढ़ते हैं। मरयूर पहुंचने के बाद, वे अपने local helpers से contact करते है। और जैसे ही उन्हे काटे जाने वाले पेड का पता लगाता हैं, तो वो 15 मिनट के अंदर अपना काम पूरा कर लेते हैं।

वो कभी भी मशीन का use नहीं करते हैं, जो आवाद से ही सबका ध्यान खींच सकती है। इसलिए काटने के शोर को कम करने के लिए वो पहले लकड़ी को दही या किसी liquid में भिगोते हैं।

 

एक बार जब वो लकड़ी काट लेते हैं, तो बिना समय गंवाए, वो जंगल से लकडी के साथ भाग जाते हैं। और अगर उन्हे  सब कुछ safe लगता हैं, तो वो लकडी को और काटकर Safely जंगल में छिपा देते है।  अधिकतर वो इसे तमिलनाडु border तक carry करके ले जाते हैं।

 

जंगल में रहने वाले लोग 25,000 रुपये या हर पेड़ के लिए एक मोबाइल फोन के लिए smugglers की मदद करते हैं, बिना ये realise किए कि border पार करने के बाद यही पेड़ लाखों रुपये में बिकते हैं। लकड़ी को तमिलनाडु की गुप्त फैक्ट्रियों में ले जाया जाता है, जहाँ उन्हें उनकी international journey के लिए transform किया जाता है।

 पलापेट्टी के पास एक पहाड़ी पर smuggling की लकडी को इकट्ठा किया जाता है।  यह मरयूर से पालापेट्टी तक एक hard रास्ता है।  वन्ननथुरा चंदन reserve तक एक गाडी के चलाने लायक सड़क है।  पालापेट्टी पांच किलोमीटर दूर गहरे जंगल में बसा है।

 

मरयूर में Smuggling के अलावा अौर crimes  भी होते है।  हाल ही में कस्बे में एक maskless आदमी  को challenge करने पर एक पुलिसकर्मी पर हमला किया गया था।  मरयूर में अक्सर forest officers की बुराई होती थी। Officer जीजू कुरियन (Jiju Kurian) और उनकी patrol टीम पर हमला किया गया था, जब उन्होंने 2002 में शिकारियों के एक समूह को एक पेड़ काटने से रोकने की कोशिश की थी। उसी दिन उन पर फिर से हमला किया गया था, जब वो पुलिस में शिकायत दर्ज कराकर लौट रहे थे।

और हमले की वजह से ड्यूटी पर लौटने से पहले उन officers ने इलाज में महीनों बिताए। और बस यही नही, जब्त की गई चंदन की लकडी की दोबारा हासिल करने के लिए smugglers ने Forest station पर भी attack किए है।

 

मरयूर के चंदन के जंगल में खून की गंध महक रही है।  छल-कपट, betrayal और violence के जाल पर बसा एक scented forest.

Local residents और forest dwellers, पेट भरने के चक्कर में crime syndicate की तरफ चलते जा रहे है।  हालांकि betrayal के किसी भी sign को मौत का reward दिया जाता है।

 

अगस्त 2020 में एक 30 साल की महिला की हत्या से मरयूर और Chinnar wildlife sanctuary के अंदर सब लोग हैरान रह गए थे। चंद्रिका की उसके भतीजे, 21 साल के कलियप्पन ने गोली मारकर हत्या कर दी थी।  उसके साथ उनके पड़ोसी, 22 साल के मणिकंदन (Manikandan) और 18 साल के माधवन भी थे। तीनों को शक था कि चंद्रिका forest officers को चंदन smugglers की नापाक हरकतों के बारे में बता रही थी।

Protected चंदन के पेड़ों को काटने के लिए मणिकंदन को जुलाई की शुरुआत में forest guards ने गिरफ्तार किया था।  जेल के रास्ते में, Manikandan को informants को मौत की warning देते हुए सुना गया। और जैसे ही उसे छोड़ा गया, मणिकंदन और gang, firest department के लिए temporary watchman के रूप में काम करने वाले अपने पड़ोसियों से बदला लेने के लिए उनकी कॉलोनी में चले गए।

 तीनों ने उन लोगों में watchman की तलाश की, जो जंगली जानवरों से बचाने के लिए अपने खेत में रात को पहरे पर रहता था।  नशे में धुत Attackera अपने target के ना मिलने पर इतने गुस्से में आए  कि वो जल्द ही उन महिलाओं की ओर मुड़े जो farm में रात गुजार रही थीं।

 कलियप्पन ने चंद्रिका की गर्दन पर बंदूक तान दी।  और इसके बाद उसने उसे गोली मार दी।  उसने भागने की कोशिश की, लेकिन और लोगों ने उसे वही दबोच लिया।  पुलिस के मौके पर पहुंचने तक उसे एक पेड़ से बांध दिया गया।  बाद में मणिकंदन और माधवन को गिरफ्तार कर लिया गया।  पुलिस ने मणिकंदन के घर से तीन हाथी दांत भी बरामद किए। Forest department का कहना है कि मणिकंदन चंदन smuggling का local kingpin था।  इस रैकेट में minor बच्चों को भी illegal trade में employ किया जाता था।

 चंद्रिका, एक unmarried महिला, जिसने कम उम्र में ही अपनी माँ को खो दिया था, और अपने बुढे पिता के साथ रह रही थी।  परिवार की अकेली कमाई, लगभग 2 किलोमीटर दूर जमीन के एक टुकड़े पर रागी (Ragi)  की खेती थी।  उसकी लाश को कंधे पर लादकर 8 किलोमीटर तक जंगल के रास्ते ले जाया गया।

 

 पलापेट्टी फायरिंग को बीनू कुमार के plan होने का doubt था, जिसने अपने illegal activities से ‘मिनी वीरप्पन’ का nickname रखवा लिया था।  उस पर forest department में 11 मामले दर्ज हैं।  उसके पिता कुप्पन भी कई मामलों में आरोपी हैं।  दोनों पर, Shekhar, एक साथी जो बाद में forest watcher निकला, उसपर हमला करने का आरोप भी है। क्योकी उन्हे लगा कि shekhar forest department को 

उनकी information दे रहा है। 

 

चंदन की खुशबु में कैसे खुन की गंध mix होती है, ये कहानी हमें pushpa 2 में भी देखने को मिल सकती है।

 

Maryur Town की sandalwood smuggling की कहानी की ये शुरूआत है, और इससे आगे की कहानी सुनने को मिलेगी आपको next post में!

 

Part 1

To be continued…..

 

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