Sultan2

वो बॉक्सिंग रिंग में तितली की तरह उड़ता था। एक पंच में विरोधी को चित कर देता था। वो मोहम्मद अली था। अमेरिका के महान मुक्केबाज मोहम्मद अली का जन्म 17 जनवरी 1942 को केंटुकी में हुआ था। बचपन में मां-पिता ने उनका नाम कैसियस क्ले रखा, लेकिन उनकी जिंदगी में ऐसा कुछ हुआ कि वो कैसियस से मोहम्मद अली बन गए।

मोहम्मद अली को उनके पिता ने एक साइकिल गिफ्ट की। जिसे लेकर वो पूरे दिन घूमा करते थे। लेकिन एक दिन ऐसा हुआ कि उनकी साइकिल चोरी हो गई। 12 साल के अली ने पुलिस से कहा कि वो चोर को पकड़कर रहेंगे और खुद से उसे उसकी सजा देंगे। पुलिस ऑफिसर से उनके घरेलू संबंध थे। पुलिसवाले ने उनसे कहा कि पहले बॉक्सिंग करना शुरू करो तभी बदला ले सकोगे। तभी से उन्होंने बॉक्सिंग की प्रेक्टिस शुरू की। खुद उस पुलिस ऑफिसर ने एक किताब में लिखा कि मोहम्मद अली ने चोर को सजा देने के लिए बॉक्सिंग को अपना जूनून बना लिया।

क्ले का जन्म केंटकी में हुआ था. 12 साल की उम्र में पुलिस अधिकारी ‘जो मार्टिन” जोकि कोलंबिया जिम में बॉक्सिंग कोच भी थे के संरक्षण में इन्होंने प्रशिक्षण शुरू कर दिया। 22 की उम्र में उन्होंने लला लिस्टन से विश्व हैवीवेट चैम्पियनशिप, 1964 में जीत हासिल की, इसके कुछ ही समय बाद, क्ले इस्लाम में परिवर्तित हो गए और अपने “दास” नाम को बदल “अली” कर लिया और 1960 के दशक के नागरिक अधिकार आंदोलन के दौरान अफ्रीकी अमेरिकियों के लिए जातीय गौरव का संदेश दिया।

क्ले ने 29 अक्टूबर, 1960 को अपने पेशेवर कैरियर की शुरुआत की जिसमें इन्होंने टनी हनसेकर पर छह दौर मेंनिर्णय जीत हासिल की। तब से 1963 के अंत तक, क्ले ने पीटकर 19-0 का रिकार्ड बनाया जिसमें 15 जीत नॉक आउट से प्राप्त कीं। इन्होंने टोनी एसप्रेटी, जिम रॉबिन्सन, डॉनी फ्लीमैन, अलोन्ज़ो जॉनसन, जॉर्ज लोगान, विल्ली बेसमैनऑफ़, लैमर क्लार्क, डग जोन्स और हेनरी कूपर सहित मुक्केबाजों को पराजित किया। क्ले भी 1962 के मैच में अपने पूर्व प्रशिक्षक और दिग्गज मुक्केबाज आर्ची मूर को भी हराया। इन्होंने पहली बार 1964 में फिर 1974 में और फिर 1978 में विश्व चैंपियनशिप का ख़िताब जीता था।

1966 में, हैवीवेट खिताब जीतने के दो साल बाद, अली ने अपने धार्मिक विश्वासों और वियतनाम युद्ध में अमेरिकी भागीदारी के विरोध का हवाला देते हुए अमेरिकी सैन्य में जाने के लिए मना कर दिया, इसके बाद इन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। इन्हें मसौदा का पालन न करने का आरोप पाया गया और इनके मुक्केबाजी खिताबों को छीन लिया गया। उन्होंने सफलतापूर्वक अमेरिकी सर्वोच्च न्यायालय में अपील की जिसने 1971 में इनकी सजा को पलट दिया लगभग चार वर्ष तक ये बॉक्सिंग से बाहर रहे। युद्ध पर सवाल उठाने के कारण ये युवा पीढ़ी के लिए एक आइकन बन गए।

अली ने 1979 में पहली बार संन्यास की घोषणा की, लेकिन 1980 में उन्होंने रिंग में वापसी की लेकिन नए विश्व चैंपियन लैरी होम्स से ये हार गए। मुकाबले को 11वें राउंड में रोक दिया गया। अली 1981 में बॉक्सिंग से वास्तविक रूप में रिटायरमेंट ले लिया। इनके खाते में 56 जीत 37 नॉकआउट और महज 5 हार शामिल हैं। 1996 के एटलांटा ओलिंपिक में इन्हें ओलंपिक ज्योति प्रज्वलित करने का गौरव प्रदान किया गया। इन्हें 1960 के रोम ओलिंपिक का नया स्वर्ण पदक भी प्रदान किया गया। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश ने 2005 में इन्हें प्रेसीडेंशियल मैडल ऑफ फ्रीडम से सम्मानित किया। 2012 के लंदन ओलंपिक के शुभारंभ समारोह में भी ये मौजूद रहे।

मुहम्मद अली 17 जनवरी1942 – 3 जून2016) पूर्व अमेरिकी पेशेवर मुक्केबाज थे, जिन्हें खेल इतिहास में दुनिया का सबसे बड़ा हेवीवेट मुक्केबाज कहा जाता है। अली 3 बार हेवीवेट चैम्पियन रहे हैं। उन्हें बीबीसी से स्पोर्ट्स पर्सनैलिटी ऑफ द सेंचुरी तथा स्पोर्ट्स इलस्ट्रेटेड द्वारा स्पोर्ट्समैन ऑफ द सेंचुरी का सम्मान मिल चुका है। अखाड़े में अली अपने फुटवर्क और मुक्के के लिए जाने जाते थे।

अली तीन बार लेनियल चैंपियनशिप जीतने वाले इकलौते विश्व हैवीवेट चैंपियन हैं इन्होंने ये ख़िताब 1964, 1974, और 1978 में खिताब जीता। 25 फरवरी, 1964, और 19 सितम्बर, 1964 के बीच, अली ने हैवीवेट बॉक्सिंग चैंपियन के रूप में शासन किया। इन्हें “महानतम” उपनाम दिया गया। ये अनेक ऐतिहासिक बॉक्सिंग मैचों में शामिल रहे। इनमें से सबसे उल्लेखनीय “फाइट ऑफ़ द सेंचुरी (सदी की लड़ाई)”, “सुपर फाइट 2 (सुपर लड़ाई द्वितीय)” और ” थ्रिला इन मनीला (मनीला में रोमांच)” बनाम अपने प्रतिद्वंद्वी जो फ्रेज़ियर, ” रंबल इन द जंगल” बनाम जॉर्ज फोरमैन आदि हैं। अली ने 1981 में मुक्केबाजी से संन्यास ले लिया।

इन्होंने चार शादियां की थीं और इनके नौ बच्चे हैं। इनमें इनकी एक बेटी लैला अली पेशेवर महिला मुक्केबाज हैं। इन्होंने 1964 में सोंजी रोई से पहली शादी की। दो वर्ष बाद 1966 में ये दोनों अलग हो गए। इन्होंने 26 फरवरी 1965 को इन्होंने अपना नाम मोहम्मद अली रख लिया तथा खुद को अश्वेत मुस्लिम घोषित किया। इन्होंने अपने मुस्लिम धर्म की बात रखते हुए अमेरिकी सेना से जुड़ने से मना कर दिया। सेना से जुड़ने से मना करने के कारण न्यूयॉर्क स्टेट एथलेटिक कमीशन ने इन्हें बॉक्सिंग के लाइसेंस से वंचित कर दिया।

ह्यूस्टन की जूरी ने इन्हें धोखाधड़ी के आरोप में 5 वर्ष की जेल और 10 हजार डॉलर की सजा सुनाई। इनका पासपोर्ट भी जब्त कर लिया गया था परंतु अपील करने के बाद इस सजा को 10 दिन का कर दिया गया। इन्होंने अगस्त 1967 में बेलिंडा बॉयड से दूसरी शादी की। उन्हें तीन लड़कियां और एक लड़का हुआ। 1976 में ये दोनों भी अलग हो गए। अली ने वेरोनिका पोर्श से 1977 में तीसरी शादी की। इनकी चार लड़कियां हुई। इनकी शादी 1986 में टूट गई। 1986 में योलांडा विलियम्स से इन्होंने चौथी शादी की। इन्होंने एक बेटा भी गोद लिया।

1984 से ये पार्किंसन रोग से पीड़ित थे। इससे पहले पेशाब की नली में संक्रमण की शिकायत की वजह से दिसंबर 2014 में भी ये अस्पताल में भर्ती हुए थे। 2 जून 2016 को इन्हें साँस की समस्या के कारण अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। हालाँकि इनकी स्थिति को अच्छा बताया गया, पर इनकी हालात ख़राब होती चली गयी। इनकी मौत का कारण सेप्टिक शॉक को बताया गया। 3 जून 2016 को इन्हें मृत घोषित कर दिया गया।

बॉक्सिंग की दुनिया में मुहम्मद अली को महानतम बॉक्सर के तौर पर याद किया जाता है. उनके जीवन में भी कई उतार चढ़ाव आए. एक समय ऐसा आया था कि लोगों को लगा उनका बॉक्सिंग करियर खत्म हो जाएगा. अली ने 25 फरवरी 1964 को वर्ल्ड हैवीवेट चैंपियनशिप अपने नाम किया. ऐसा करने वाले वह सबसे कम उम्र के बॉक्सर थे. वहीं 1967 में अमेरिका-वियतनाम युद्ध के दौरान उन्होंने अमेरिकी सेना की सेवा करने से मना कर दिया था. इससे अलावा उस दौरान उन्होंने अश्वेत नागरिकों के अधिकारों के लिए भी अवाज भी उठाया था

एक बार का किस्सा अली ने कुछ ऐसे सुना था अली 20वीं सेन्चुरी के सबसे महान बॉक्सर माने जाते हैं। पूरी दुनिया उस वक्त शॉक्ड रह गई थी, जब 31 फाइट के बाद पहली बार वे रिंग में हारे थे। मुहम्मद अली के सामने थे जोसेफ विलियम फ्रेजर। 8 मार्च, 1971 : सदी की सर्वश्रेष्ठ फाइट फ्रेजर और अली ने कई फाइटें लड़ीं। 8 मार्च, 1971 को अमेरिका के मेडिसन स्क्वेयर गार्डन रिंग में फाइट उनमे से एक थी। पूरी दुनिया की निगाहें टेलीविजन पर टिकी हुईं थीं। मेडिसन स्क्वेयर हजारों दर्शकों से पटा पड़ा था, रोमांच देखते बनता था। दो ही नाम था सबकी जुबां पर- फ्रेजर और मुहम्मद अली। मुहम्मद अली 1960 में लाइटवेट वर्ल्ड हैवीवेट चैम्पियन रह चुके थे। जबकि फ्रेजर ने 1964 में हैवीवेट चैम्पियनशिप का टाइटल अपने नाम दर्ज कराया था।

31 फाइट जीतने के बाद पहली फाइट हारे ‘द रिंग वर्ल्ड हैवीवेट टाइटल’ फाइट शुरू हुई। पहला राउंड, दूसरा राउंड…. और 14 राउंड। दोनों में से कोई बॉक्सर हार मानने को तैयार नहीं था। लेकिन, 15वां राउंड पूरी दुनिया को चौकाने वाला था। एक के बाद एक 31 फाइट जीतने वाले मुहम्मद अली रिंग में पहली बार चित हो गए यह फ्रेजर की लगातार 27वीं जीत थी। किसी को भी उम्मीद नहीं थी कि अली हार जाएंगे, लेकिन फ्रेजर ने कर दिखाया। फाइट के बाद दोनों भर्ती हुए अस्पताल में15 राउंड तक चले मुकाबले असर यह हुआ कि मुहम्मद अली और फ्रेजर दोनों को अस्पताल में भर्ती होना पड़ा। इस फाइट को सदी की सर्वश्रेष्ठ फाइट कहा जाता है। मुहम्मद अली ने इस हार का बदला 1974 में लिया। उन्होंने फ्रेजर को 28 जनवरी, 1974 को 12 राउंड तक चली फाइट में हराया।

मुहम्मद अली ने जल्द ही ओलंपिक गांव के आसपास अपनी उपस्थिति महसूस करना शुरू कर दिया, जो एक बेहद लोकप्रिय व्यक्ति बन गया। लेकिन रिंग के बाहर दोस्त बनाने के साथ ही अली ने इसके अंदर भी एक छाप छोड़ना शुरू कर दिया। बेल्जियम यवन बीकॉज के खिलाफ रोम ओलंपिक में अपने पहले बाउट में, रेफरी को क्रूर नॉकआउट के डर से दूसरे दौर में प्रतियोगिता रोकनी पड़ी। उनका क्वार्टर फाइनल प्रतिद्वंद्वी रूस के गेनाडी शातकोव थे, जिन्होंने चार साल पहले मिडिलवेट डिवीजन में ओलंपिक स्वर्ण जीता था। अपनी प्रभावशाली वंशावली के बावजूद, उनका अमेरिकी के लिए कोई मुकाबला नहीं था। जो अंकों पर 5-0 से हार गए।

इस खिलाड़ी ने स्कोरलाइन को ऑस्ट्रेलिया के स्टार पगिलिस्ट टोनी मैडिगन के खिलाफ अपने अगले बाउट में दोहराया । हालाँकि मुहम्मद अली को कई बार गहरी मेहनत करनी पड़ी, लेकिन उन्होंने इसे लाइट हैवीवेट ओलंपिक फ़ाइनल के माध्यम से हासिल किया। 5 सितंबर 1960 को रोम के पलाज़ो डेलो स्पोर्ट स्टेडियम में मुहम्मद अली के सामने ज़बिनग्यू पिएट्रोज़्कोव्स्की (Zbigniew Pietrzykowski) थे।

पीत्र्ज्य्कोवसकी अपने प्रतिद्वंद्वी की तुलना में अधिक मजबूत और अधिक अनुभवी था और अली ने शुरू में अपने प्रतिद्वंद्वी की दक्षिणपूर्वी शैली के अनुकूल होने के लिए संघर्ष किया। 25 वर्षीय पोल ने पहले दो राउंड में बढ़त बनाई, लेकिन अंतिम दौर में मुहम्मद अली का स्थान आया। अपने बेहतर सहनशक्ति और त्वरित संयोजनों के साथ, अमेरिकी ने अपने प्रतिद्वंद्वी को पस्त कर दिया। इस पर आखिर में जज ने फैसला किया। सभी जज एक बार फिर एकमत थे और ओलंपिक गोल्ड उनका था।

उनके चित्रकार-संगीतकार पिता कैसियस मार्सेलस क्ले सीनियर की तरह, जिन्हें अली ने लुइसविले का कट्टर नर्तक ’करार दिया था, लेकिन उनका डांस फ्लोर बॉक्सिंग रिंग था। तथ्य यह है कि वह अपने तेज घूंसे के साथ ‘मधुमक्खी की तरह डंक मारते थे’, उन्हें विरोधियों के लिए दुःस्वप्न और दुनिया भर के लाखों मुक्केबाजी प्रशंसकों के लिए देखने का सपना बना दिया। अमेरिका लौटने के तुरंत बाद, मुहम्मद अली ने पेशेवर बने और 29 अक्टूबर, 1960 को ट्यूनी हन्सेकर के खिलाफ अपनी शुरुआत की।

कैसियस क्ले जूनियर इस्लाम धर्म में परिवर्तित होने के बाद मोहम्मद अली बन गया और आज तक यह नाम खेल जगत में नहीं बल्कि उससे भी बाहर एक भव्य संस्था का प्रतिनिधित्व करता है। बॉक्सिंग रिंग में जितना उन्होंने अपने कई खिताबों का मुकाबला और बचाव किया, उतना ही उन्हें मजबूती से खड़ा होने सही कारणों से खड़े रहे। वियतनाम युद्ध के कट्टर आलोचक, अली अपनी बंदूकों से चिपके रहते थे, व्यक्तिगत लागत पर भी उन्हें किनारे कर देते थे। वह अमेरिकी नागरिक अधिकार आंदोलन में केंद्रीय आंकड़ों में से एक थे।

पार्किंसंस रोग से पीड़ित होने के बाद भी, अली ने दुनिया भर में शांति और भाईचारे के संदेश का प्रचार किया, जो ओलंपिक आंदोलन की सच्ची भावना का प्रतिनिधित्व करता है। वह 1996 के अटलांटा ओलंपिक में अंतिम मशाल वाहक के रूप में ओलंपिक मंच पर लौटे, जिन्होंने उस संस्करण के लिए ओलंपिक लौ जलाई। अपनी मृत्यु से चार साल पहले लंदन 2012 में अली उद्घाटन समारोह के लिए ओलंपिक ध्वज को स्टेडियम में ले गए। शाश्वत ओलंपिक लौ की तरह, उनकी किंवदंती उज्ज्वल और गर्व को जलाती है

 

Comment Your Thoughts.....

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments

Related Post

Tiger 3 , Salman Khan, Emraan , Katrina, Bollygrad Studioz,bollygradstudioz.com

Tiger 3

Humari Tiger ki kahani le chuki hai ab ek alag hi mod, Jisme Tiger apni team ke saath vaapas se cruise ship ke pas aa

Read More »
Krrish 4 ,Hrithik Roshan , Priyanka Chopra , By Kiran Yadav bollygradstudioz.com

Krrish 4 (Part 4)

Priya yaani Priyanka chopra Rohit yaani Mikhail Gandhi ke kamre ko saaf karne jaati hai. Wo jese hi rohit ke bikhre hue toy ko samet

Read More »

Bade Miya Chote Miya

क्या फिल्म बड़े मियां छोटे मियां के reviews को लेकर कोई गड़बड़ हो रही है? दरसल फिल्म बड़े मियां छोटे मियां के ट्रेलर में अक्षय

Read More »

Bollygrad Studioz

Get the best streaming experience

Contact Us

41-A, Fourth Floor,

Kalu Sarai, Hauz Khas,

New Delhi-16

 

011 4140 7008
bollygard.fti@gmail.com

Monday-Saturday: 10:00-18:00​

Get Connected