Jawan
हमारी भारतीय सेना में एक से बढ़कर एक जांबाज जवान हैं। कई ऐसे रहे जो सरहद पर देश की रक्षा करते हुए शहीद हो गए लेकिन । इन सब के विपरीत आज हम आपको एक ऐसे जवान की कहानी बताने वाले हैं जो अपनी मौत के 48 साल बाद भी सरहद की रक्षा कर रहा है। आपको सुनने में थोड़ा अजीब जरूर लगेगा लेकिन Army के साथ-साथ वहां भीउनकी पूजा करने आते हैं।
Indo-chinese border की कठोर पहाड़ियों पर भारतीय सेना हमेशा बेफिक्रे के साथ तैनात रहती है । चीन की चतुराई के बावजूद की सुरक्षा को लेकर लाख मुश्किलें आए , कोई भारतीय सेना का बाल भी बांका नहीं कर सकता क्योंकि यहां सैकड़ों सैनिकों के साथ एक ऐसा सैनिक विराजमान है जो दिखता नहीं पर यहां मौजूदहै । जी हां हम बात कर रहे हैं बाबा हरभजन सिंह की । हरभजन सिंह का जन्म 30 अगस्त 1946 को गुजरांवाला, जो कि अब पाकिस्तान में है वहां हुआ था । सेना के records के मुताबिक हरभजन सिंह 1966 में पंजाब Regiment में एक आम सिपाही के तौर पर शामिल हुए थे। कुछ समय बाद उनकी तैनाती sikkim मे हुई और ऐसा कहा जाता है कि एकहादसे मे उनकी मृत्यु हो गई।
हादसा तब हुआ जब वह घोड़ों के काफिले को एक camp site से दूसरी camp site पे ले जा रहे थे। तभी वहा उनके घोड़े का पैर एक नाले में गिर गया । पानी की तेज धारा में उनका शरीर बहकर वहा से 2 किलोमीटर दूर जा पहुंचा। भारतीय सेना ने उन्हें ढूढने की काफी कोशिश की। पर उस दिन काफी बर्फबारी भी हुई इसलिए उनका कुछ पता नहीं चला कुछ पता नहीं चला। इसे Army को लगा की हरभजन , duty से बचने के लिए भाग गया था। लेकिन कुछ समय बाद एक रात को अपने साथी के सपने में आए।
उन्होंने बताया उनका शरीर कहां पर है । जहा उन्होंने अपनी उनका शरीर की location बताई थी वह वही , उनकी rifle के साथ बरामद हुए। Indian Army ne सपने में आए हरभजन सिंह को भगोड़ा मानने गलती की थी, इसलिए उन्होंने अपनी इस भूल को सुधारा । उनका अंतिम संस्कार पूरे सम्मान के साथ किया ।
समय बीतता गया और कुछ समय बाद हरभजन ने अपनी टुकड़ी के एक सैनिक के सपने में आकर कहा
की क्यों उनका शरीर गया है लेकिन उनकी आत्मा अभी भी On Duty ही रहेगी। शुरू शुरू में तो सब ने इसे मन का वहम ही माना लेकिन कुछ समय बाद साथी सैनिकों के साथ कुछ ऐसा होने लगा जो अजीब था । जैसे उनके साथ अगर कोई अनहोनी होने वाली होती , या कोई घटना होने वाली होती तो हरभजन पहले ही सपने में आकर उन्हें चौकन्ना कर देते थे। वहां रहने वाले सैनिकों का मानना था कि Sikkim की भयंकर ठंड में भी किसी सैनिक की आंख नहीं लग सकती थी, क्योंकि उसे बाबा का थप्पड़ पड़ जाता था ।
और ऐसा नहीं था कि केवल भारतीय सैनिकों को ही बाबाजी के होने का अंदाजा था । चीनी सैनिकों ने भी कई बार यह बात कही थी कि भारत का कोई सैनिक घोड़े पर border पर घूमता है । जब यह बात भारत के बड़े अधिकारियों तक पहुंची तो उन्होंने यह बात मान ली की Sikkim की बर्फीली पहाड़ियों के बीच एक सैनिक ऐसा भी था जो सेवा कर रहा था, बिना दिखाई दिए । इसके बाद हरभजन सिंह ,सैनिकों के लिए बाबा हो गए। और वहीं खाली पड़े bunker में उनका मंदिर बना दिया गया। उस bunker में उनकी बिस्तर, जूते और बाकी का जरूरत का सब सामान रख दिया। उन्हें Salary से लेकर quarter तक सब मिले। यहां तक कि सुबह का नाश्ता और दोपहर का खाना भी बाबा के लिए लगाया जाता था। रात होते ही मंदिर के पट बंद कर दिए जाते थे क्योंकि यह बाबा की duty का समय होता था। कई बार जब सैनिक bunker में सुबह आते तो उन्हें बाबा की जूतों पर मिट्टी दिखाई देती है बिस्तर पर सिलवटें महसूस होती ।
भारतीय सेना बाबा हरभजन सिंह को भारत और चीन के बीच में होने वाली हर flag meeting में शामिल करती थी । उस मीटिंग में उनके नाम के अलग से खाली कुर्सी रखी जाती थी । बाबा हरभजन सिंह को हर छुट्टी के समय उनके गांव भी भेजा जाता था, जिसके लिए train की सीट की बुक की जाती थी । सैनिकों के साथ उनका सामान उनके गांव में जाता था और जब 2 महीने छुट्टी के पूरी हो जाती थी तो सैनिकों के साथ उनका सामान वापस sikkim बुला लिया जाता था।
2006 में बाबा को retire कर दिया गया । इसके बाद से बाबा जी अब उस bunker में ही रहते हैं, और देश की सेवा करते हैं। भारतीय जवानों में आज भी बाबा के लिए बहुत आस्था जुड़ी है। भारतीय जवान duty पर जाने से पहले मंदिर में माथा टेक कर जाते हैं । सच मे! बाबा हरभजन सिंह की कहानी से proove करती है की अगर दिल मे मातृभूमि से प्रेम हो तो मौत भी क्या चीज है।
कुछ इसी तरह की film होने वाली है shahrukh khan ki Jawan ।
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Apoorva